बुढ़ापे में संघर्ष की राह ना दिखाए सरकार : मेलाराम शर्मा
अक्स न्यूज लाइन नाहन 31 जनवरी :
सिरमौर जिला सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी कल्याण संघ के प्रवक्ता मेला राम शर्मा, पदाधिकारी एस आर राणा और कुन्दन राणा ने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से आग्रह किया है कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 2016 से छठे वेतन आयोग के बड़े हुए वेतनमान के अनुसार ग्रेच्युटी, लीव एनकैशमेंट, डीए बढ़ोतरी और अन्य भत्तों की अदायगी तुरंत की जाए। सिरमौर जिला मुख्यालय नाहन में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मेलाराम शर्मा ने कहा कि जीवन के अन्तिम पड़ाव में प्रदेश के सेवानिवृत्त अधिकारी और कर्मचारी गत 5-6 वर्षों से छठे वेतन आयोग की बढ़ोतरीयों की अदायगीओं की बाट जोह रहे हैं परंतु सरकार ने अभी तक ये बढ़ोतरी जारी नहीं की हैं।
उन्होंने बताया कि पिछले 5-6 वर्षों के अंतराल में बहुत सारे सेवानिवृत अधिकारी कर्मचारी बिना वेतन भत्ते लिए स्वर्ग भी सिधार गए हैं और हिमाचल प्रदेश के लाखों सेवानिवृत अधिकारी कर्मचारी इस उम्र में आर्थिक तंगी के कारण भारी परेशानियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने बताया की उम्र के इस पड़ाव में सेवानिवृत्त अधिकारियों और कर्मचारियों पर अनेक प्रकार के आर्थिक बोझ रहते हैं जिनकी पूर्ति के लिए उन्हें गृह निर्माण, बच्चों की शादी ब्याह और निजी वाहनों की खरीद इत्यादि के लिए बैंकों से अनेक प्रकार के ऋण भारी भरकम ब्याज पर उठाने पढ़ रहे हैं और दूसरी ओर छठे वेतन आयोग की बढ़ोतरी के धन की अदायगी सरकार के पास लंबित पड़ी है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2016 के बाद छठे वेतन आयोग का बकाया जो उन्हें लगभग 5-6 वर्ष पूर्व मिल जाना चाहिए था वह इन्फ्लेशन के मद्देनजर लगातार घटता जा रहा है और दूसरी ओर सेवानिवृत्त कर्मचारी और अधिकारी बैंकों के ऋणों के भारी भरकम ब्याज अदा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अपनी पूरी उम्र, सेवानिवृत कर्मचारियों ने सरकार की सेवा में लगा दी और बुढ़ापे में उन्हें अनेक प्रकार की बीमारियों से भी जूझना पड़ रहा है जिसके लिए धन की नितांत आवश्यकता रहती है। ऐसे में उन्होंने प्रदेश सरकार से आग्रह किया है कि छठे वेतन आयोग की बढ़ोतरी ग्रेच्युटी, एनकैशमेंट, कम्यूटेशन आदि के एरियर की अदायगी अविलंब की जाए ताकि जीवन के अंतिम पड़ाव में सेवानिवृत्त अधिकारी कर्मचारी अपने जीवन भर की कमाई का लाभ उठा सके।
उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू का ध्यान इस तथ्य की ओर आकर्षित किया कि सरकार के इस रवैए के कारण न केवल उनको आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा है अपितु उनके मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है क्योंकि जो कर्मचारी और अधिकारी 2022 के बाद सेवानिवृत हो रहे हैं उन्हें छठे वेतन आयोग के अनुसार पूरे आर्थिक लाभ प्राप्त हो रहे हैं जबकि इससे पूर्व सेवानिवृत्ति अधिकारियों और कर्मचारी के आर्थिक लाभ पिछले 5 वर्षों से सरकार के पास पड़े हैं।
उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि उम्र के इस पड़ाव में अपने आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए उन्हें संघर्ष की राह पर धकेलने का प्रयास न किया जाए और शीघ्र सेवानिवृत अधिकारियों और कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग की बढ़ोतरीयों के अनुसार उनके एरियर की अदायगी की जाए।